जीरो बजट की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

नीति आयोग ने 9thJuly, २०१८ को शूंय बजट प्राकृतिक खेती के प्रचार पर चर्चा करने के लिए एक बैठक आयोजित की । भारत सरकार 2015-16 के बाद से परंपारागत कृषि विकास योजना (PKVY) की समर्पित योजनाओं के माध्यम से देश में जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के माध्यम से भी । वर्ष २०१८ के दौरान PKVY योजना के संशोधित दिशा-निर्देशों में विभिन्न जैविक खेती मॉडल जैसे प्राकृतिक खेती, ऋषि खेती, वैदिक खेती, गाय पालन, होमा खेती, जीरो बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) आदि शामिल हैं । शामिल किया गया है जिसमें लचीलापन राज्यों को दिया जाता है ताकि किसान की पसंद के आधार पर ZBNF सहित जैविक खेती के किसी भी मॉडल को अपनाया जा सके. RKVY योजना के अंतर्गत जैविक खेती/प्राकृतिक खेती परियोजना के घटकों को उनकी प्राथमिकता के अनुसार संबंधित राज्य स्तरीय मंजुरी समिति (SLSC) द्वारा विचार/

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) पर नेटवर्क परियोजना के तहत जैविक खेती (NPOF) और अखिल भारत समंवित अनुसंधान परियोजनाओं (एकीकृत खेती प्रणालियों पर), में शूंय बजट खेती प्रथाओं के मूल्यांकन पर एक प्रयोग शुरू किया है बासमती चावल-गेहूं की व्यवस्था "पर मोदीपुरम (उत्तर प्रदेश), लुधियाना (पंजाब), पंतनगर (उत्तराखंड) और कुरुक्षेत्र (हरियाणा) से रबी २०१७ क मृदा जैविक कार्बन सहित उत्पादकता, अर्थशास्त्र और मृदा स्वास्थ्य पर जीरो बजट खेती पद्धतियों का अध्ययन और मिट्टी की उर्वरता । जैसा कि पहले ही उल्लेख किया है, PKVY और अंय योजनाओं के तहत पदोंनत किया गया है कि खेती रासायनिक मुक्त खेती करना है । बायो-कीटनाशक, बायो-फर्टिलाइजर्स, onfarm/बंद खेत प्राकृतिक निविष्टियां किसानों द्वारा उपयोग किया जाता है कि जैविक खेती जो भी बचत में योगदान की तुलना में निवेश लागत की कमी में परिणाम है ।

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यह जानकारी कृषि मंत्रालय के राज्य मंत्री & कृषक कल्याण श्री Parshottam रूपला ने दी.

 

स्त्रोत: प्रेस सूचना ब्यूरो भारत सरकार कृषि मंत्रालय & कृषक कल्याण